बेक -अप लेना क्यों जरुरी है ? || Why is it necessary to take backup?

बेक -अप लेना क्यों जरुरी है ? || Why is it necessary to take backup?

क्या आप जानते हैं कि महत्वपूर्ण डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बैकअप लेना अनिवार्य है? डेटा हानि के संभावित खतरे जैसे हार्डवेयर विफलता, साइबर हमले और आकस्मिक मिटा देने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इसीलिए यह आवश्यक है कि हम अपने महत्वपूर्ण दस्तावेजों, फ़ोटो और फाइलों का नियमित रूप से बैकअप लें।

बैकअप लेने से न केवल आपके डेटा की सुरक्षा होती है, बल्कि यह आपको मानसिक शांति भी प्रदान करता है। अब, एक स्मार्ट कदम उठाएं और अपने महत्वपूर्ण डेटा का बैकअप आज ही शुरू करें।

डेटा बैकअप लेना आवश्यक है क्योंकि: डेटा हानि से बचाव: हार्डवेयर विफलता, वायरस, या साइबर हमलों के कारण महत्वपूर्ण डेटा खो सकता है। बैकअप लेने से आप इस हानि से बच सकते हैं। अनपेक्षित घटनाओं के लिए तैयार रहना: आग, बाढ़, या चोरी जैसी घटनाओं में डेटा का नुकसान हो सकता है। बैकअप लेने से आप इन स्थितियों में भी अपने डेटा को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। व्यवसाय की निरंतरता: यदि आपका व्यवसाय महत्वपूर्ण डेटा पर निर्भर करता है, तो डेटा हानि से व्यापार बंद हो सकता है। नियमित बैकअप से व्यवसाय की निरंतरता सुनिश्चित होती है। मनोवैज्ञानिक शांति: यह जानकर कि आपका डेटा सुरक्षित है, मानसिक शांति मिलती है और आप अन्य महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। कानूनी और नियामक आवश्यकताएं: कई उद्योगों में डेटा बैकअप की कानूनी और नियामक आवश्यकताएं होती हैं। इनका पालन करने के लिए बैकअप लेना आवश्यक है।

डेटा बैकअप के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. फुल बैकअप (Full Backup):
    • विवरण: इस प्रकार के बैकअप में सभी डेटा की प्रतिलिपि बनाई जाती है।
    • फायदा: सभी डेटा एक ही स्थान पर होता है, जिससे पुनःप्राप्ति आसान होती है।
    • नुकसान: अधिक समय और स्टोरेज की आवश्यकता होती है
  2. इंक्रिमेंटल बैकअप (Incremental Backup):
    • विवरण: इस बैकअप में केवल उन डेटा को बैकअप किया जाता है जो पिछले बैकअप के बाद बदले या जोड़े गए हों।
    • फायदा: कम समय और स्टोरेज की आवश्यकता होती है।
    • नुकसान: पुनःप्राप्ति के समय अधिक बैकअप सेट की आवश्यकता होती है।
  3. डिफरेंशियल बैकअप (Differential Backup):
    • विवरण: इसमें फुल बैकअप के बाद बदले या जोड़े गए सभी डेटा को बैकअप किया जाता है।
    • फायदा: फुल बैकअप की तुलना में कम समय और स्टोरेज की आवश्यकता होती है।
    • नुकसान: समय के साथ बैकअप आकार बढ़ता जाता है।
  4. मिरर बैकअप (Mirror Backup):
    • विवरण: इसमें डेटा की सटीक प्रतिलिपि बनाई जाती है, जिससे डुप्लीकेट फाइलें बनती हैं।
    • फायदा: डेटा का सटीक प्रतिबिंब मिलता है।
    • नुकसान: अनजाने में डिलीट हुई फाइलें भी मिरर में डिलीट हो जाती हैं।
  5. ऑफसाइट बैकअप (Offsite Backup):
    • विवरण: इस बैकअप में डेटा को अलग स्थान पर स्टोर किया जाता है, जैसे कि क्लाउड स्टोरेज।
    • फायदा: प्राकृतिक आपदाओं या अन्य घटनाओं में भी डेटा सुरक्षित रहता है।
    • नुकसान: डेटा ट्रांसफर के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है।
  6. ऑनलाइन/क्लाउड बैकअप (Online/Cloud Backup):
    • विवरण: डेटा को क्लाउड सेवा प्रदाता के सर्वरों पर स्टोर किया जाता है।
    • फायदा: कहीं से भी डेटा तक पहुंचा जा सकता है।
    • नुकसान: इंटरनेट निर्भरता और सुरक्षा चिंताएँ।
  7. लोकल बैकअप (Local Backup):
    • विवरण: डेटा को लोकल स्टोरेज डिवाइस जैसे हार्ड ड्राइव या नेटवर्क अटैच्ड स्टोरेज (NAS) पर स्टोर किया जाता है।
    • फायदा: तेज़ और आसान डेटा पुनःप्राप्ति।
    • नुकसान: स्टोरेज डिवाइस के नुकसान का खतरा।

प्रत्येक प्रकार का बैकअप अलग-अलग जरूरतों और परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त होता है। सही बैकअप योजना का चयन करने से डेटा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।

बेक -अप के टूल्स :

ऑफलाइन : यूएसबी हार्डडिस्क, पेन ड्राइव, सीडी , डीवीडी

ऑनलाइन : क्लाउड स्टोरेज – ड्रॉप बॉक्स , गूगल क्लाउड , वन ड्राइव, i -cloud

ये सारे टूल्स है जो बेक अप में काम आते है |

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